हर सफर का एक अंत होता है
पर ज़िन्दगी थोड़े ही खत्म होता है
ये तो महज़ एक पड़ाव है
रुको ,साँस लो और आगे बढ़ो
इस सफर में बहुत से साथी मिले होंगे
कुछ अच्छे कुछ बुरे कुछ अच्छे -बुरे
अच्छों को दिल में रखना बुरों को दिल से मुआफ़ करना
रास्ता बहुत लम्बा है
कभी तुम तेज़ दौड़ोगे कभी हम
पर मुझे पता है कि हाँफ्ते हाँफ्ते
हम फिर मिलेंगे किसी चौराहे पर
अल्विदा दोस्त पर याद रखना
हम फिर मिलेंगे किसी चौराहे पर हाँफ्ते हाँफ्ते
In response to this poem, Tushar penned his own words:
हाँफ्ते हाँफ्ते जब मिलेंगे कभी चौराहे पर
बाते किया करेंगे, गुज़ारे हुए और आने वाले पल की
चेहरे पर मुस्कुराहट होगी, थोड़ी थकावट भी होगी
पर फ़िर से भागने का जुनून भी होगा
क्योंकी भागते भागते फिर से एक चौराहे पर जो मिलना है !!!
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