जो उम्मीदों की ज़मीन हमने जोति थी
अरमानो के बीज जो बोयी थी
ख्वाबों की खुराख जो बिछाई थी
लो उग गए हैं उनसे ये नन्हे पौधे
शाखायें और पत्तियाँ अभी भी नाज़ूक हैं
टूट कर बिखर जाएँगी हवा के झोकों से
अपनी नज़रों से दूर न होने देना इन्हे
बड़ी शिद्दत से उगाई हैं ये नन्हे पौधे
एक गुफ्तगू जारी है भीतर ही भीतर
की एक दिन बड़ी होंगी इसकी डालियाँ
सौंधी कलियाँ खिलेंगी इन डालियों पर
खुशनुमा एहसास दिलाती ये नन्हे पौधे
सींचना होगा इन्हे हर पहर नये विचारों से
वरना सूख जाएँगी ये लावारिस कागज़ के पर्चे सी
हर्फ़ हर्फ़ जुड़कर एक नज़्म बनती हुई
मेरे सपनों को आकर देती ये नन्हे पौधे
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